आज हम इस आर्टिकल में सोने में निवेश के लिए सबसे बेहतर विकल्प सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) ( Sovereign Gold Bond Scheme ) के बारे में विस्तार से जानेंगे|
सोना एक एसेट की तरह तो उपयोग होता ही हैं साथ ही साथ पोर्टफोलियो में विविधता (Diversification) के लिए भी जरुरी हैं, फाइनेंसियल एक्सपर्ट सामान्यतया सलाह देते हैं की आपके कुल पोर्टफोलियो का 5 से 15% तक सोने में निवेशित होना चाहिए, उसके साथ ही साथ हम आम भारतीय कही न कही सोने के प्रति एक ज्यादा भावनात्मक लगाव और सम्मान से जोड़कर देखते हैं, परन्तु क्या जिस तरह से हम फिजिकल सोना खरीदते हैं वह सबसे अच्छा रिटर्न दिला सकता हैं या भारत सरकार द्वारा जारी सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) (Sovereign Gold Bond Scheme (SGB)) कही ज्यादा सुरक्षित और बेहतर विकल्प हैं, जानते हैं-
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) क्या हैं ? what is Sovereign Gold Bond Scheme (SGB)?
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) (Sovereign Gold Bond Scheme (SGB)) भारत सरकार द्वारा आरबीआई के माध्यम से जारी एक बांड हैं, जिसकी शुरुआत नवम्बर 2015 में हुई थी और इसको डेब्ट इन्स्टूमेंट के अंतर्गत रखा गया हैं जिसकी मैचयोरिटी पीरियड 8 साल हैं, एसजीबी का एक यूनिट का सर्टिफिकेट सोने के एक ग्राम मूल्य के बराबर होता हैं| प्राप्तकर्ता को फिजिकल सोने के स्थान पर एक सर्टिफिकेट मिलता है या ऑनलाइन माध्यम से खरीदने और डीमैट खाता संख्या डालने पर डीमैट खाता में जमा हो जाता हैं|
सोवरिन का शाब्दिक अर्थ शासकीय होता हैं मतलब यह बांड सरकार द्वारा सुरक्षित हैं, इसमे डिफ़ॉल्ट का रिस्क नगण्य हैं, सिर्फ सोने का बाजार मूल्य ही आपके रिटर्न को प्रभावित कर सकता हैं| एसजीबी में नामिनी की सुविधा भी होती हैं|
फिजिकल गोल्ड के स्थान पर सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) (Sovereign Gold Bond Scheme) (SGB) में निवेश करना क्यों बेहतर हैं?
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड (एसजीबी) में निवेश करने से किसी भी प्रकार का भौतिक सोना न प्राप्त होकर वह एक सर्टिफिकेट के रूप में प्राप्त होता हैं, जिससे उसको रखने में किसी प्रकार का रखरखाव का खर्चा तथा ज्वेलर्स को दिए जाने वाले मेकिंग चार्ज और उसके उपर लगने वाला जीएसटी से आप अपनी काफी भारी बचत कर सकते हैं और फिजिकल गोल्ड में होने वाली किसी भी तरह की धोखाधड़ी से अपने को सुरक्षित कर सकते हैं|
इन सबके अतिरिक्त सबसे बड़ा फायदा यह हैं की एसजीबी में सरकार द्वारा प्रतिवर्ष इशू रेट पर 2.5% का साधारण ब्याज (simple interest) मिलता हैं, जिसका सोने के मूल्य में होने वाले परिवर्तन से कोई संबंधनहीं हैं इसलिए हर तरह से यह सभी प्रकार के गोल्ड के निवेश में सबसे बेहतर विकल्प हैं|
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) (Sovereign Gold Bond Scheme) (SGB) के पीछे सरकार का उद्देश्य-
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड (एसजीबी) में निवेश को बढ़ने के पीछे सरकार के निम्न उद्देश्य हो सकते हैं-
- सोने की घरेलु मांग को कम करना, जिससे सोने के इम्पोर्ट में कमी लायी जा सके|
- सोने की खरीद की आदत को एक अच्छे निवेश में बदलना जिससे मध्यम वर्ग के लोग भविष्य में एक अच्छा और सुरक्षित रिटर्न बना सके|
- लॉन्ग टर्म की निवेश की आदत को बढ़ावा देना आदि प्रमुख सरकार के उद्देश्य हैं|
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) (Sovereign Gold Bond Scheme) (SGB) के लिए पात्रता –
- कोई भी भारतीय नागरिक व्यक्तिगत या संयुक्त रूप से, हिन्दू अविभाजित परिवार, ट्रस्ट, यूनिवर्सिटी, चैरिटेबल संस्थायें एसजीबी के लिए आवेदन कर सकती हैं|
- माइनर भी एसजीबी में अपने अभिभावक के माध्यम से निवेश कर सकता हैं|
- कोई भी विदेशी नागरिक या विदेशी संस्थाएं एसजीबी में निवेश की पात्रता नहीं रखते हैं|
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) (Sovereign Gold Bond Scheme) (SGB) में अप्लाई करने का तरीका –
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड में निवेश करने के लिए आरबीआई की अधिसूचना के बाद आप रास्ट्रीयकृत बैंक से, प्राइवेट सेक्टर बैंक और विदेशी बैंको या साइड पोस्ट ऑफिस में जाकर आवेदन कर सकतें हैं| कई बैंको के द्वारा ऑनलाइन आवेदन भी लिया जाता हैं| कुछ चुनिंदा स्टॉक एक्सचेंज तथा उनके एजेंट के माध्यम से भी आप ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं| ऑनलाइन माध्यम से आपके पास गोल्ड बांड डीमैट अकाउंट में आ जाते हैं| ऑनलाइन गोल्ड बांड लेने पर इसमे सरकार द्वारा इशू प्राइस से 50 रुपये की अतिरिक्त छुट मिलती हैं| सोवरिन गोल्ड बॉण्ड (एसजीबी) में निवेश के लिए केवाईसी के लिए आवेदन करने के समय आयकर विभाग द्वारा जारी पैन कार्ड संख्या प्रस्तुत करनी होती हैं|
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) (Sovereign Gold Bond Scheme) (SGB) में निवेश की सीमा –
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड में निवेश करने के लिए कोई भी व्यक्तिगत या हिन्दू अविभाजित परिवार (HUF) प्रतिवर्ष कम से कम एक ग्राम और अधिक से अधिक से अधिक 4 किलोग्राम तक निवेश कर सकता हैं, यदि एसजीबी में निवेश जॉइंट अकाउंट के अंतर्गत हुआ हैं तो यह लिमिट पहले आवेदक पर लागू होगी| इसके अलावा ट्रस्ट, यूनिवर्सिटी तथा चैरिटेबल संस्थाओ के लिए उपरी सीमा 20 किलोग्राम तक रखी गयी हैं|
एसजीबी (SGB) की समयावधि –
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड की मैचौरिटी की समय सीमा सरकार द्वारा 8 वर्ष की रखी गयी हैं जिसे तीन साल के लिए बढाया भी जा सकता हैं| इसे आवश्यकता पड़ने पर 5,6 या 7 साल में भी इस बांड को कैश कर सकते हैं|
इस बांड की सुन्दरता यह हैं की यह बांड आवंटित होने के कुछ समय बाद ही आरबीआई की दी हुई डेट पर यह सेकेंडरी मार्किट (स्टॉक एक्सचेंज) पर ट्रेड करने लगता हैं जिससे आप बड़ी आसानी से अपनी जरूरत के अनुसार किसी और को यह बांड ट्रान्सफर कर सकते हैं या अगर आप आवंटन के समय प्राइमरी मार्किट से नहीं ले पाए हैं तो सेकेंडरी मार्किट से आप बाजार मूल्य पर लेकर पुनः सेकेंडरी मार्केट या प्राइमरी मार्केट में इनकैश करा जा सकता हैं|
कैसे तय होते हैं एसजीबी (SGB) के प्राइमरी मार्किट में इशू या सेल प्राइस –
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड के मैचौरिटी के समय उसके सेल प्राइस और आवंटन के समय उसके इशू प्राइस निर्धारित करने का काम आई.बी.जे.ए. (IBJA) का हैं| इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन का प्रमुख काम सोने के रिटेल भाव का निर्धारण करना हैं| इशू और सेल प्राइस का निर्धारण उसकी डेट के पहले के अंतिम तिन कार्यदिवस (working days) के क्लोजिंग प्राइस का सामान्य एवरेज होता हैं|
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) (Sovereign Gold Bond Scheme) (SGB) में लगने वाले टैक्स –
- सोवरिन गोल्ड बॉण्ड के मैचौरिटी के समय किसी भी प्रकार का कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता हैं| एसजीबी पूरी तरह से कैपिटल गेन टैक्स से मुक्त हैं|
- सोवरिन गोल्ड बॉण्ड पर मिलने वाले प्रतिवर्ष 2.5% ब्याज जो की प्रति छमाही 1.25% बैंक खाते में सीधा जमा होता हैं, उस पर टैक्स स्लैब के अनुसार इनकम टैक्स देना पड़ता हैं|
- अगर आप मैचौरिटी से पहले ही बांड को सेकेंडरी मार्किट में बेच देते हैं तो इस पर डेब्ट इंस्ट्रूमेंट के अनुसार टैक्स देना होता हैं|
- सोवरिन गोल्ड बॉण्ड पर टीडीएस (TDS) नहीं अप्लाई होता हैं|
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) (Sovereign Gold Bond Scheme) (SGB) के निवेश में क्या किसी प्रकार का रिस्क भी हैं?
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड में निवेश करने में खरीदी गयी सोने की मात्रा जो की एक ग्राम, एक यूनिट के बराबर होती हैं उसकी मात्रा का किसी भी प्रकार का कोई जोखिम नहीं हैं| यह सरकार द्वारा गारंटी प्रदान की जाती हैं, परन्तु सोने के बाजार मूल्य पर होने वाले उतार-चड़ाव बांड के रिटर्न को प्रभावित कर सकता हैं और इससे आपको पूंजीगत हानि हो सकती हैं| पर 8 वर्ष की लम्बी अवधि में इसका प्रभाव काफी कम हो सकता हैं|
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सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) (Sovereign Gold Bond Scheme) (SGB) की प्रमुख विशेषतायें –
- सोवरिन गोल्ड बॉण्ड सरकार के द्वारा गारंटी प्राप्त सोने का सबसे सुरक्षित निवेश हैं, जिसके डिफ़ॉल्ट होने का डर नहीं हैं|
- किसी जरुरत के समय आप मैचौरिटी के समय सीमा के पहले ही इसको सेकेंडरी मार्किट में ट्रान्सफर किया जा सकता हैं|
- सोने में निवेश करने के लिए फिजिकल सोने के जगह पर एसजीबी का चुनाव उसके रखने का झंझट, ज्वैलरी पर लगने वाले मेकिंग चार्ज तथा जीएसटी इत्यादि से पूरी तरह से छुटकारा दिलाता हैं|
- अगर आप ऑनलाइन माध्यम से एसजीबी में निवेश करते हैं तो इशू प्राइस से भी 50 रुपया प्रति ग्राम आपको देना होगा अर्थात 50 रुपया प्रति ग्राम का डिस्काउंट ऑनलाइन आवेदक को मिलता हैं|
- एसजीबी में सोने के मूल्य में होने वाली बढत के अलावा आपको प्रतिवर्ष 2.5% का इशू प्राइस पर अलग से साधारण ब्याज भी मिलेगा, जोकि 8 साल में 20% हो जाता हैं, जबकि अन्य किसी माध्यम से सोने में निवेश करने पर यह फायदा नहीं मिलता हैं|
- एसजीबी को कैपिटल गेन टैक्स से मुक्त रखा गया हैं, मैचौरिटी के उपरांत इसमे किसी भी प्रकार का कैपिटल गेन टैक्स नहीं हैं|
- फिजिकल गोल्ड लेने पर ज्वैलर्स के यहाँ होने वाली किसी भी प्रकार की धोखा धडी का डर नहीं|
- अपने किसी रिलेटिव को गिफ्ट दिया जा सकता हैं,उस पर भी कोई कैपिटल गेन टैक्स नही होता हैं|
- एसजीबी को कोलैटरल (collateral) रखकर हम आसानी से जरुरत पड़ने पर आसानी से बैंक से लोन ले सकते हैं|
- एसजीबी को अचानक किसी मार्केट के वित्तीय संकट तथा महंगाई के विरुद्ध एसेट के तौर भी उपयोग में लाया जा सकता हैं|
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) (Sovereign Gold Bond Scheme) (SGB) की कमियाँ –
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड में उपरी नजर से देखने पर तो कुछ खास कमी नजर नहीं आती हैं परन्तु गहनता से ध्यान देने पर निम्न बिन्दुओ के आधार पर आलोचना की जा सकती हैं-
- एसजीबी की मैचौरिटी का लॉक इन पीरियड काफी लम्बा हैं, हालंकि जरुरत पड़ने पर बांड को सेकेंडरी मार्केट में किसी अन्य को ट्रान्सफर किया जा सकता हैं|
- इस बांड की एक यूनिट एक ग्राम के बराबर होती हैं, कम से कम एक यूनिट ही खरीदा जा सकता हैं जो की निम्न वर्ग के आय के लोगो के लिए बड़ा निवेश हो सकता हैं, जिससे वह इस बांड में निवेश करने से वंचित रह जाते हैं|
- एक कमी इमोशनल आधार पर देखी जा सकती हैं की इस बांड में निवेश करने पर वह सर्टिफिकेट या डिमैट अकाउंट में यूनिट के रूप में आ जाते हैं, परन्तु वास्तविकता में किसी प्रकार का गोल्ड न मिलना आम भारतीय को सोने में निवेश की फीलिंग नहीं दिला पाता हैं|
- सेकेंडरी मार्केट में बेचने पर कई बार मार्किट में तरलता की कमी की वजह से डिमांड और सप्लाई मूल्यों में काफी अंतर होता हैं, जिसमे मार्केट आर्डर डालने में काफी नुकसान हो सकता हैं, इसलिए वह पर लिमिट आर्डर में ही अपना बांड को बेचना चाहिये|
आशा करती हूँ की ये आर्टिकल आपके काम जरुर आयेगा आपकी सोने के गहने लेने की समझ को भविष्य में और बेहतर करेगा| हमारी हमेशा हर आर्टिकल लिखने के पीछे का प्रथम लक्ष्य यही रहा हैं की आम लोगो तक फाइनेंसिअल नॉलेज के स्तर को और बढ़ाया जा सके तथा भाषा को सरलतम रखें जो हर इन्सान समझ सके| इसी प्रकार के अन्य लेख पढने के लिए हमारी वेबसाइट विजिट कर सकते हैं| आपके सुझावों का दिल से स्वागत और इंतजार हैं| समय देने के लिए धन्यवाद|
–दीक्षा दीक्षित
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