सोने में निवेश करना आज नहीं भारत में तो प्राचीन समय से ही यह सम्पन्नता का प्रतीक बना रहा हैं, परन्तु आम वर्ग में सामान्यता सोने में निवेश के तरीके में सिर्फ ज्वैलरी खरीदना या सोने के सिक्के तक ही सीमित हैं, परन्तु आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे की सोने को निवेश की द्रष्टि से किस प्रकार से खरीद सकते हैं और सोने में निवेश के तरीके में सबसे बेहतर तरीका कौन सा हो सकता हैं?
सोने में निवेश के तरीके–
सोने में निवेश के तरीके निम्न हैं-
- सोने को ज्वैलरी के रूप में खरीदकर
- सोने के सिक्के के रूप में या सोने के बार के रूप में|
- डिजिटल गोल्ड खरीद कर
- गोल्ड ईटीफ (ETF) ले कर
- गोल्ड म्यूचुअल फण्ड के रूप में
- सोवरिन गोल्ड बांड (SGB) के रूप में
सोने में निवेश के तरीके: ज्वैलरी के रूप में
आम इन्सान सोने में निवेश के तरीके का मतलब सोना की ज्वैलरी खरीदना समझता हैं, सोने में ज्वैलरी के माध्यम से निवेश करने को सोचना एक उचित तरीका नहीं हैं| सोने की ज्वैलरी खरीदने के समय ज्वैलरी के वजन पर सामान्यता मेकिंग चार्जेज लगता हैं जो की 10% से लेकर 25% तक हो सकता हैं| सोने की ज्वैलरी आपको उसे उपयोग में लाने के लिए तो खरीदना चाहिए परन्तु एक निवेश की द्रष्टि से नहीं| ज्वैलरी खरीदते वक्त निवेश की द्रष्टि से 22% कैरट में ही ज्वैलरी बनानी चाहिये|
सोने की ज्वैलरी में निवेश के फायदें-
- आवश्कता पड़ने पर ज्वैलरी से आसानी से गोल्ड लोन तुरंत किसी बैंक से लिया जा सकता हैं|
- आसानी से किसी प्रतिष्ठित ज्वैलर्स से लिया जा सकता हैं|
- ज्वैलरी लेने के लिए किसी भी प्रकार के डीमैट अकाउंट की आवश्कता नहीं होती हैं|
सोने की ज्वैलरी में निवेश के नुकसान-
- सोने की ज्वैलरी लेने के समय 10% से 25% तक मेकिंग चार्ज देना पड़ता है , इससे सोना हमे बाजार भाव से उतने प्रतिशत ही महंगा पड़ता हैं, जो निवेश के अनुसार अर्थहीन हैं|
- सोने की ज्वैलरी में जीएसटी भी देना पड़ता हैं, जो वर्तमान में 3% हैं|
- सोने के रखरखाव के लिए बैंक आदि में लॉकर का किराया भी देना पड़ता हैं|
- यदि बैंक आदि में न रखा जाये तो चोरी का डर बना रहता हैं|
- बेचने के समय आपको कैपिटल गेन टैक्स भी लगता हैं|
सोने में निवेश के तरीके: सोने के सिक्को या गोल्ड बार के रूप में
सोने में निवेश के तरीके में सोने के सिक्के या गोल्ड बार लेना कही अधिक बेहतर निर्णय होगा, उसकी सबसे बड़ी वजह उसमे लगने वाला मेकिंग चार्ज हैं| सोने के सिक्के में सामान्यता 3% से 10% तक मेकिंग चार्ज देना होता हैं, जो ज्वैलरी से तुलनात्मक रूप से काफी कम हैं| गोल्ड के टुकड़े लेने पर जिनकी शुद्धता की आपको गारंटी मिल रही हो, उसमे आपको कोई मेकिंग चार्ज नहीं देना पड़ेगा , भौतिक सोना में यह निवेश सबसे बेहतर हैं|
सोने के सिक्को या गोल्ड बार में निवेश के फायदें-
- सोने के सिक्को तथा गोल्ड बार के द्वारा भी आप आसानी से बैंकों से लोन ले सकते हैं|
- यह भी आसानी से किसी प्रतिष्ठित ज्वैलर्स से लिया जा सकता हैं|
- इसमे सोने की ज्वैलरी के मुकाबले मेकिंग चार्ज कम देना पड़ता हैं|
- सिक्के या गोल्ड बार लेने मे भी किसी प्रकार की डीमैट अकाउंट की जरुरत नहीं पडती हैं|
- इसमे सोना 24 कैरट का होता हैं अर्थात सोने की शुद्धता 100% होती हैं|
सोने के सिक्को या गोल्ड बार में निवेश के नुकसान-
- सोने के सिक्को में भी आपको 3% से 10% तक मेकिंग चार्ज देना पड़ता है|
- सोने के सिक्को में जीएसटी भी देना पड़ता हैं, जो वर्तमान में 3% हैं|
- सिक्को या गोल्ड बार के रखरखाव के लिए बैंक आदि में लॉकर का किराया भी देना पड़ता हैं|
- यदि बैंक आदि में न रखा जाये तो सुरक्षा सम्बन्धी डर हमेसा बना रहता हैं|
- बेचने के समय यहाँ भी कैपिटल गेन टैक्स भी लगता हैं|
सोने में निवेश के तरीके: डिजिटल गोल्ड
सोने में निवेश के तरीके में डिजिटल गोल्ड का नाम भी काफी लिया जाता हैं| आप इसे विभिन्न डिजिटल एप से खरीद सकते हैं| जो की आपके वॉलेट में सुरक्षित रहता हैं और उतना ही सोना भारत की प्रतिष्ठत कंपनी MMTC-Pamp द्वारा आपके नाम से खरीद कर रख लिया जाता हैं| जिसमे MMTC भारत सरकार का ही उपक्रम हैं|
डिजिटल गोल्ड में निवेश के फायदें-
- डिजिटल गोल्ड लेने पर किसी प्रकार का रखरखाव का कोई झंझट नहीं होता हैं|
- डिजिटल गोल्ड की सबसे सुन्दर बात यह हैं की उसे कई डिजिटल प्लातेफ़ोर्म से 1 रुपया से भी निवेश करना शुरु कर सकते हैं, जो आम इन्सान को सुगमता प्रदान करती हैं|
- डिजिटल गोल्ड बड़ी आसानी से ऑनलाइन लिया जा सकता हैं|
- बड़ी ही आसानी जब चाहें तब बेच सकते हैं पर्याप्त तरलता रहती हैं|
- डिजिटल गोल्ड में शुद्धता का कोई डर नहीं| 24 कैरट गोल्ड ही ख़रीदा और बेचा जाता हैं|
- डिजिटल गोल्ड में कोई भी मेकिंग चार्ज नहीं देना पड़ता हैं|
- डिजिटल गोल्ड को भी आप कोलेटरल की तरह रख कर आप किसी जरूरत में उसके विरुद्ध लोन ले सकते हैं|
- आवश्कता पड़ने पर आप उसे ऑनलाइन फिजिकल गोल्ड में भी बदलने के लिए आवेदन कर सका हैं, जिसमे कुछ मेकिंग चार्ज कंपनी के नियमों के अनुसार देना होगा|
डिजिटल गोल्ड में निवेश के नुकसान-
- डिजिटल गोल्ड लेने पर आपके स्थान पर गोल्ड स्टोर करने वाली कंपनी को कोई भी वित्तीय नियामक संस्था नियंत्रित नहीं करती हैं|
- डिजिटल गोल्ड वालेट में स्टोरेज की एक निश्चित अधिकतम समयावधि होती हैं, उसके उपरांत सोने को बेचना होता हैं या फिजिकल सोने की डीलेवरी लेनी होती हैं, जिससे आपको इसमे भी मेकिंग चार्ज देना पड़ता हैं|
- किसी एक डिजिटल प्लेटफॉर्म से आप अधिकतम 2 लाख का ही सोना खरीद सकते हैं|
- डिजिटल गोल्ड में भी जीएसटी देय होता हैं|
- सोना बेचने के समय स्टोरेज चार्ज, बीमा तथा ट्रस्टी फीस आदि को मिला कर 2 से 3 प्रतिशत तक आपको अलग से शुल्क देना पड़ता हैं जिससे जीएसटी के बाद 100 रुपया निवेश करने पर आपका लगभग 95 रुपया ही निवेश हो पाते हैं|
- डिजिटल गोल्ड में भी आपको कैपिटल गेन टैक्स देना पडता हैं|
सोने में निवेश के तरीके: गोल्ड ईटीएफ
सोने के निवेश के तरीके में एक यह भी तरीका है जिसमें इलेक्ट्रॉनिक निवेश में गोल्ड ईटीएफ (ETF) के द्वारा हम डायरेक्ट 99.9 प्रतिशत सोने में निवेश कर सकते हैं| सामान्यता गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड की एक यूनिट एक ग्राम प्योर सोने के बराबर होती हैं| गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने के लिए स्टॉक एक्सचेंज के किसी ब्रोकर से एक डीमैट अकाउंट तथा एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना आवस्यक हैं, जिसके बाद गोल्ड ईटीएफ की यूनिट खरीद कर आप डीमैट अकाउंट में सुरक्षित लम्बी अवधी के लिए रख सकते हैं| पेंडेंट, चोकर्स और chain necklace जैसे लोकप्रिय महिलाओं के हार की पेशकश। किसी भी अवसर के अनुरूप विभिन्न प्रकार की धातुओं और रत्नों से बने आभूषणों की खरीदारी कर
यह भी पढ़ें:
गोल्ड ईटीएफ में निवेश के फायदें-
- गोल्ड ईटीएफ में किसी प्रकार का मेकिंग चार्ज या जीएसटी नहीं देना पड़ता हैं|
- गोल्ड ईटीएफ में कोई रखरखाव का खर्चा नहीं होता हैं|
- गोल्ड ईटीएफ को डीमैट अकाउंट में लम्बे अवधी के लिए रख सकते हैं|
- गोल्ड ईटीएफ द्वारा गोल्ड बुलियन के शुद्धतम रूप में निवेशित होते हैं|
- गोल्ड ईटीएफ को आवश्यकता पड़ने पर उसको कोलेटरल की तरह रख कर कर्ज भी लिया जा सकता हैं|
- गोल्ड ईटीएफ में लिया गया फण्ड मैनेज के लिए चार्ज सामान्यता गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड से कम होता हैं|
- गोल्ड ईटीएफ के मूल्यों में पारदर्शिता होती हैं, डीमैट अकाउंट व गोल्ड ईटीएफ कंपनी इत्यादि सेबी जैसी वित्तीय नियामक संस्था द्वारा नियंत्रित होती हैं|
- गोल्ड ईटीएफ में आसानी से ख़रीदा बेचा जा सकता हैं उसमे काफी तरलता होती हैं|
गोल्ड ईटीएफ में निवेश के नुकसान-
- गोल्ड ईटीएफ में निवेश के लिए डीमैट अकाउंट की आवश्कता होती हैं जिसका भी अनुअल मेंटीनेंस चार्ज वहन करना पड़ता हैं|
- गोल्ड ईटीएफ में फण्ड मैनेज के लिए चार्ज कंपनी द्वारा लिया जाता हैं, जो की 1% से कम किन्तु सभी कंपनियों का भीं भिन्न भिन्न होता हैं, जिसे एक्सपेंस रेश्यो कहा जाता हैं|
- गोल्ड ईटीएफ में निवेश किये सोने को बेचने के समय उसके मूल्य के बराबर आपको धनराशि मिलती हैं न की फिजिकल सोना|
- गोल्ड ईटीएफ को बेचते समय टैक्स स्लैब के अनुसार कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता हैं|
- गोल्ड ईटीएफ खरीदने और बेचने पर आपको ब्रोकरेज चार्ज भी देना पड़ता हैं, जो मेकिंग चार्ज इत्यादि से तो काफी कम परन्तु निवेश के लिहाज से एक प्रश्नचिन्ह तो लगाया जा सकता हैं|
सोने में निवेश के तरीके: गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड
गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड और गोल्ड ईटीएफ में काफी समानताएं हैं परन्तु दोनों में मुलभूत अंतर यह हैं की गोल्ड ईटीएफ जहाँ सीधे गोल्ड बुलियन में निवेश करता हैं वही गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड, गोल्ड ईटीएफ के माध्यम से मार्केट में निवेशित रहते हैं| म्यूच्यूअल फण्ड में आप एनएवी (NAV) के माध्यम से आप निवेश करते हैं, यहाँ पर एक एनएवी का अर्थ एक म्यूच्यूअल फण्ड के एक यूनिट से हैं|
गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश के फायदें-
- गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड में किसी प्रकार का मेकिंग चार्ज या जीएसटी नहीं देना पड़ता हैं|
- गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड में कोई रखरखाव का खर्चा नहीं होता हैं|
- गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड को म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी के अकाउंट में लम्बे अवधी के लिए रख सकते हैं|
- गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने के लिए किसी प्रकार के डीमैट अकाउंट की आवश्यकता नहीं होती हैं|
- न्यूनतम राशि 100 रुपया से भी निवेश सुरु किया जा सकता हैं|
- गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड को आवश्यकता पड़ने पर उसको कोलेटरल की तरह रख कर कर्ज भी लिया जा सकता हैं|
- गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड के मूल्यों में पारदर्शिता होती हैं, म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी सेबी जैसी वित्तीय नियामक संस्था द्वारा नियंत्रित की जाती हैं|
- गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड में आसानी से ख़रीदा बेचा जा सकता हैं उसमे काफी तरलता होती हैं|
गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश के नुकसान-
- गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी का एक्सपेंस रेश्यो (फण्ड मैनेज करने के लिए लिया जाने वाला चार्ज), गोल्ड ईटीएफ की तुलना में ज्यादा होता हैं|
- गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश किये सोने को बेचने के समय उसके मूल्य के बराबर आपको धनराशि मिलती हैं न की उसके स्थान पर फिजिकल सोना|
- गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड में भी टैक्स स्लैब के अनुसार कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता हैं|
सोने में निवेश के तरीके: सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी)
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) भारत सरकार द्वारा, आरबीआई के माध्यम से जारी एक स्वर्ण बचत योजना हैं, जिसमे सोने के एक ग्राम मूल्य के बराबर एक यूनिट को मानकर सरकार फिजिकल सोने के स्थान पर सर्टिफिकेट इशू करती हैं| इसकी मचौरटी 8 साल की होती हैं, परन्तु इसे 5,6,7 साल में भी इस योजना से निकल सकते हैं| यह योजना गोल्ड से मिलने वाले रिटर्न को देखते हुए सोने में निवेश के तरीके में सबसे अच्छा विकल्प हैं| इस योजना का उद्देश्य सरकार का सोने के आयात को हतोत्साहित करना हैं|
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) में निवेश के फायदें-
- सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) में आपको प्रतिवर्ष इशू प्राइस का 2.5 प्रतिशत साधारण ब्याज भी साल में मिलता हैं, जो की यह छमाही 2 किस्तों में आता हैं| इस तरह से यह योजना और सभी सोने के निवेश से इसको बिलकुल अलग बनाती हैं|
- सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) में 5 वर्ष के बाद कभी भी योजना से निकलने पर आपको कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना पड़ता हैं , जो किसी अन्य सोने के निवेश में यह सुविधा नहीं हैं|
- सोवरिन गोल्ड बॉण्ड को ऑनलाइन माध्यम से खरीदने पर उसके इशू प्राइस से भी 50 रुपया प्रति ग्राम आपको कम देना होगा अर्थात 50 रुपया प्रति ग्राम का डिस्काउंट ऑनलाइन आवेदक को मिलता हैं|
- सोवरिन गोल्ड बॉण्ड को आप अपने किसी रिलेटिव को गिफ्ट दे सकते हैं, उस पर भी किसी प्रकार का कैपिटल गेन टैक्स नही पड़ता हैं|
- सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) में किसी प्रकार का मेकिंग चार्ज या जीएसटी नहीं देना पड़ता हैं|
- सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) में किसी प्रकार का कोई एक्सपेंस रेश्यो भी नहीं होता हैं|
- जरुरत पड़ने पर इसको सेकेंडरी मार्केट में बेचा जा सकता हैं|
- सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) के सर्टिफिकेट को बैंक आदि के पास जमा कराकर उससे लोन भी लिया जा सकता हैं|
- सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) में सोने के सुरक्षा का कोई खतरा नहीं हैं|
- सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) की गारंटी भारत सरकार लेती हैं इसलिए ये सबसे सुरक्षित सोने का निवेश हैं|
सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) में निवेश के नुकसान-
- सोवरिन गोल्ड बॉण्ड योजना (एसजीबी) को सेकेंडरी मार्केट में बेचने या खरीदने पर कम तरलता का होना जिससे डीमांड और सप्लाई में अव्यवहारिक अंतर हो जाता हैं|
- एसजीबी की मैचौरिटी पीरियड का काफी लम्बा होना, परन्तु आवश्यक होने पर इसे सेकंडरी मार्केट में बेचा जा सकता हैं|
- सोवरिन गोल्ड बॉण्ड की एक यूनिट एक ग्राम के बराबर होती हैं जिसे कई बार सामान्य वर्ग के लिए खरीदना थोडा मुस्किल हो जाता हैं|
यह भी पढ़ें :
सारांश-
सोने में निवेश के तरीके और उनके फायदें और नुकसान को विस्तार से जानकर शायद आप भी अपने लिए तथा अपनी जरुरत के हिसाब से सोने में निवेश करने के लिए निर्णय ले सकते हैं| अगर सीधे शब्दों में कहा जाये तो निवेश की द्रष्टि से सोवरिन गोल्ड बॉण्ड ही बेहतर विकल्प हैं और इसका सोने से भी अधिक रिटर्न बनता हैं, जो की इस बांड का बेस मैटल हैं, व सबसे कम रिटर्न गणना के आधार पर बनते हैं| सोवरिन गोल्ड बॉण्ड के बाद गोल्ड के इलेक्ट्रॉनिक तरीके गोल्ड ईटीएफ व म्यूच्यूअल फण्ड में भी निवेश किया जा सकता हैं|
यदि आपको फिजिकल सोना लेने का ही मन हैं तो आपको सोने के सिक्के या 24 कैरट शुद्धता का बार लम्बी अवधी के लिए लेना चाहिए, परन्तु ज्वैलरी को ज्वैलरी के रूप में तो जरुर खरीदना चाहिए न की निवेश की द्रष्टि से|
आशा करती हूँ की ये आर्टिकल आपके प्रश्नों के उत्तर देने सफल हुआ होगा, सोने में निवेश करने की समझ को भविष्य में और बेहतर करेगा| हमारी हमेशा हर आर्टिकल लिखने के पीछे का प्रथम लक्ष्य यही रहा हैं की आम लोगो तक फाइनेंसिअल ज्ञान के स्तर को और बढ़ाया जा सके तथा भाषा को सरलतम रखें जो हर इन्सान के लिए सुलभ रहें| इसी प्रकार के अन्य लेख पढने के लिए हमारी वेबसाइट विजिट कर सकते हैं| आपके सुझावों का दिल से स्वागत और इंतजार हैं| समय देने के लिए धन्यवाद|
दीक्षा दीक्षित
1 thought on “सोने में निवेश के तरीके: HOW TO INVEST IN GOLD? TYPES OF INVESTMENT IN GOLD: 6 WAYS TO INVEST IN GOLD”